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अंतर्राष्ट्रीय बहाई समुदाय का बयान


 
नई दिल्ली, 5 सितंबर: एक प्रेस बयान में अंतर्राष्ट्रीय बहाई समुदाय कहा कि उत्तरी ईरान के माज़नदरान सूबे के क़ायमशहर में कल 13 युवाओं सहित 14 बहाइयों को गिरफ्तार किया गया और सारी खुफिया कार्यालय में हिरासत में रखा गया। इनमें से अधिकांश गिरफ्तारियां एक निजी मकान में हुई जहां ये युवा अध्ययन कर रहे थे और समाज की प्रगति में शिक्षा की भूमिका पर चर्चा कर रहे थे। इन बहाई युवाओं पर लगाये गये आरोपों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी।

ईरान सरकार द्वारा पूरे देश में बहाइयों के खिलाफ चलायी गयी महीने भर की कार्रवाई में यह सबसे ताजा घटना है। पिछले 32 दिन के दौरान सरकारी अधिकाहियों ने अत्याचार और उत्पीड़न की 245 कार्रवाई में बहाइयों को निशाना बनाया है। बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाच इन गिरफ्तारियों और बहाइयों को कारावास में डाले जाने, उनके घरों को नुकसान पंहुचाये जाने, परिसंपत्ति ज़ब्त करने, उनके निजी और व्यावसायिक परिसरों पर छापे, उन्हें पीटने और यातना देने, हिरासत में रखे गये लोगों को दवा देने से इंकार और एक सौ से अधिक युवाओं को उच्च शिक्षा से वंचित कर देने की इन मार्मिक घटनाओं की पुष्टि कर सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र, अनेक देशों की सरकारों, एमनेस्टी इंटरनैशनल सहित सामाजिक संगठनों तथा अंतर्राष्ट्रीय और ईरानी मीडिया ने व्यापक रूप से इस उत्पीड़न की निंदा की है।

जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिनिधि सिमिन फहंदेज ने कहा कि “ जिन युवाओं को स्वयं ईरान सरकार ने उच्च शिक्षा से वंचित कर रखा है उन्हें पढ़ाई लिखाई करते और शिक्षा की भूमिका पर चर्चा करते समय गिरफ्तार कर लेना कितना हास्यास्पद है।“ “ ईरान सरकार की क्रूरता ने हर सीमा तोड़ दी है। न केवल इन युवाओँ को विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने और अपनी बौद्धिक क्षमता विकसित करने से रोका जा रहा है बल्कि उन्हें युवा गोष्ठियों में भाग लेने और अपनी पीढ़ी के लिये महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के सामान्य अधिकार से भी वंचित किया जा रहा है।“

1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से ही ईरान प्रणालीबद्ध ढंग से बहाई समुदाय का उत्पीड़न करता आ रहा है। क्रांति के बाद से 200 से अधिक बहाइयों को मारा जा चुका है और ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खमेनई द्वारा हस्ताक्षरित 1991 का नीतिगत दस्तावेज ईरान के विश्वविद्यालयों में बहाई युवाओं का प्रवेश प्रतिबंधित करने सहित बहाई समुदाय की प्रगति और विकास को “अवरुद्ध“ करने का प्रावधान करता है। वर्ष 2006 में ईरान के विज्ञान, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा देश के 81 विश्वविद्यालयों को भेजे गये पत्र में आदेश दिया गया है कि “यदि किसी भी विद्यार्थी की बहाई के रूप में पहचान होती है तो उसे तुरंत विश्वविद्यालय से निकाल दिया जाये।“

ईरान द्वारा हस्ताक्षरित वैश्विक मानवाधिकार घोषणापत्र तथा अंतर्ऱाष्ट्रीय नागरिक और राजनीतिक अधिकार संविदा बहाइयों को अपने धर्म के पालन तथा शिक्षा और सामान्य जीवन यापन का अधिकार देती हैं।

इन गिरफ्तारियों के एक दिन पहले ही 30 अगस्त को फार्स प्रॉविंस कोर्ट ऑफ अपील की 37वीं शाखा में 25 बहाइयों की कानूनी अपील नामंजूर कर दी गयी और उनकी कड़ी सजा बरकरार रखी गयी। इन 25 लोगों को जून में शिराज में सजा दी गयी थी और अब उन्हें कुल मिलाकर 80 वर्ष का कारावास भुगतना है।

सुश्री फहंदेज ने कहा - “देश के अंदर और बाहर के ईरानी शुभचिंतकों, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और पूरे विश्व के असंख्य लोगों ने एक स्वर से ईरान सरकार से बहाइय़ों का उत्पीड़न बंद करने की अपील की है। ईरान को समझना होगा कि बहाइयो का लगातार जारी उत्पीड़न केवल राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसकी अपनी विश्वसनीयता को ही नष्ट करेगा और विश्व के समक्ष ईरान के बहाइयों की निर्दोषिता प्रमाणित करेगा।“

 
AUTHOR: Editor-in-Chief of Start News Agency